ARATI SHRI RAM JI KI

नखसिख छबिधर की , आरती करिये सियवर की |

लाल पित – अम्बर अति साजे ,मुख निरखत सादर ससि लाजे |

तिलक चिलक भालन पर राजै  कुम कुम केसर की |

आरती करिये सियवर की |

सीस फूल कुंडल झलकत है , चन्द्रहार मोती ललकत है

कर कंकन की धुति दमकत है जगमग दिनकर की

आरती करिये सियवर की |

मृदु तलुअन में अधिक ललाई , हास विलास न कछु कहि जाई |

चितवन की छवि अति सुखदाई , मन ही मन फरकी |

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